शंका से समाधान की कथा का नाम है रामचरित मानस

रामचरित मानसरामचरित मानस संशय से प्रारंभ होती है समाधान तक जाती है। परमात्मा की कथा बहुत विचित्र है, शंका से समाधान की कथा का नाम है श्रीराम कथा। ऋषि भारद्वाज का संशय करना व यागवल्यक जी द्वारा समाधान, सती का संशय व शिव द्वारा समाधान और गरुड़ जी को संशय होना और काक-भुशुण्डि जी द्वारा समाधान।

रामचरित मानस का वही सच्चा अधिकारी है जो अपना अहंकार छोड़कर इसे श्रवण करता है। रामकथा, वट वृक्ष ज्ञान का प्रतीक है। कथा का फल है परमात्मा का दर्शन। परमात्मा परीक्षा का विषय नहीं है, परमात्मा प्रतीक्षा का विषय है।
उक्त बात रामचरित मानस के अनुगायक मौन तीर्थ पीठाधीश्वर संत श्री डॉ. सुमनभाई मानस भूषण ने श्री मौन तीर्थ पीठ में चल रही श्री राम कथा के चौथे दिन कही।

जनसंपर्क अधिकारी दीपक राजवानी ने बताया कि कथा में भगवान शर्मा और श्याम माहेश्वरी द्वारा व्यासपीठ की आरती की। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में धर्म परायणजन विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री मौन तीर्थ पीठाधीश्वर एवं श्रीरामकथा के अनुगायक संत श्री डॉ. सुमन भाई ’मानस भूषण’ के श्रीमुख से आयोजित इस रामकथा का आश्रम परिसर में प्रति-दिन सायं 5 बजे से 8 बजे तक आयोजन किया जा रहा है। आयोजन समिति ने इस रामकथा का लाभ लेने का अनुरोध शहर-वासियों से किया है।

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