धूमधाम से मनाई गई मां हिंगलाज जयंती, कन्या पूजन और भण्डारा हुआ आयोजित

हिंगलाज जयंतीखंडवा। ओम हिंगुले परम हिंगुले अमृतरूपिणी, तनु शक्ति नमो: शिवे ओम हिंगुलाये नम:, जिस तरह भगवान अलग-अलग रूपों में अवतरित हुए उसी तरह मां भगवती भी हर युग में अलग-अलग नामों से अवतरित हुई। स्वयंभू चमत्कारी मालीकुंआ स्थित हिंगलाज माता मंदिर में माताजी की जयंती पर विभिन्न धार्मिक आयोजन के साथ भंडारा आयोजित हुआ।

मां हिंगलाज माता नवदुर्गा उत्सव समिति द्वारा हिंगलाज माता जयंती प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाई जाती है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि कोरोना कॉल के चलते विगत 2 वर्षों से हिंगलाज जयंती पर बड़े आयोजन एवं भंडारा कार्यक्रम नहीं हो सका।

लेकिन इस वर्ष कोरोना के लगे प्रतिबंध हट जाने के पश्चात हिंगलाज जयंती पर उत्साह के साथ धार्मिक आयोजन संपन्न हुए वही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां हिंगलाज के दर्शन कर भंडारे में प्रसादी ग्रहण की समिति के संजय शर्मा ने बताया कि 30 मार्च बुधवार को मां हिंगलाज जयंती मनाई गई।

इस दौरान सुबह माता का अभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया गया साथ ही विश्व में शांति एवं सभी के कल्याण के लिए हवन में श्रद्धालुओं द्वारा आहुति पेश की गई तत्पश्चात भोग आरती के बाद कन्या पूजन कर कन्या भोज के साथ विशाल भंडारे का आयोजन हुआ। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया,

कि शहर के मालीकुआं स्थित मां हिंगलाज माता मंदिर इसी का एक उदाहरण है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पत्थर की इस मूर्ति को लोग हनुमानजी समझकर पूजते थे। लेकिन एक महिला के शरीर में जब माताजी प्रकट हुई और उन्होंने बताया यह प्रतिमा मां हिंगलाज की है तब से यहां माताजी की प्रतिमा की स्थापना कर मंदिर का निर्माण कराया गया।

वर्तमान में यहां मां हिंगलाज का भव्य मंदिर है। भारत में 51 शक्तिपीठ है, पूर्व में कामाक्षी, उत्तर में ज्वालामुखी, दक्षिण में मीनाक्षी व पश्चिम में मां हिंगलाज। हिंगलाज में सती का सिर गिरा था यह स्थान 51 शक्तिपीठों में प्रधान माना गया है। यह स्थान वर्तमान में पाकिस्तान के प्रांत ब्लुचिस्तान में लासबेला जिले में स्थित है।

सती जी के सिर में हिंगुल (सिंदूर) भरा होने के कारण इनका नाम हिंगलाज पड़ा। मुख्य स्थल पाकिस्तान में होने के कारण भारत में हिंगलाज माता की स्वयंभू प्रतिमा केवल खंडवा में है।
चमत्कारी मां हिंगलाज माता के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश होता है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

रात्रि में काकड़ आरती के पश्चात भजन संध्या का आयोजन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मैं उपस्थित होकर महा आरती में भाग लेकर भजनों को सुना हिंगलाज जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर मां के दर्शन कर प्रसादी ग्रहण किया।

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