दिनेश पाटनी सनावद। सनावद में बुधवार सुबह 8 बजे आचार्यश्री विरागसागर जी के शिष्य आचार्य श्री विभव सागर महाराज ससंघ (27 पिच्छी) का बेड़िया की ओर से मंगल प्रवेश हुआ। खरगोन रोड स्थित चौधरी फ्यूल से दिगंबर जैन समाज-जनों द्वारा आचार्यश्री संघ की अगवानी कर चल समारोह निकाला गया।
बैंड बाजे के साथ निकले चल समारोह में आचार्य श्री के साथ विभास्वर सागर जी, प्रक्षाल सागर जी, आचारण सागर जी, आध्ययन सागर जी सहित 11 मुनि महाराज, 8 आर्यिका जी, 4 क्षुल्लिका जी, 3 क्षुल्लक जी सहित बड़ी संख्या में महिलाएं पीली साड़ी में मंगल कलश लेकर तथा श्वेत वस्त्रो में पुरुष चल रहे थे।
मार्ग में जगह जगह श्रद्धालुओं द्वारा आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन किया गया तथा ससंघ द्वारा आदिनाथ, सिमंधर, महावीर, सुपार्श्वनाथ और पार्श्वनाथ जिनालय बड़ा मंदिरजी मे दर्शन किए गए। चल समारोह पीपल चौक, वर्धमान चौक, सरदार चौक होते आजाद मार्ग संत निलय पर पहुंचा। जहां आचार्य श्री ससंघ महावीर जयंती के लिए विराजमान रहेंगे।
सामाजिक क्रांति के सूत्रधार आचार्यश्री
धर्म सभा में आचार्य श्री द्वारा कुंडलपुर को प्राचीन और आचार्य श्री वर्धमान की नगरी सनावद को वर्तमान तीर्थ क्षेत्र बताया। उन्होंने धर्म के प्रति आस्था और भगवान महावीर के बताए मार्ग का अनुसरण करने की बात कहते हुए अपना संक्षिप्त प्रवचन दिया।
उल्लेखनीय है, सामाजिक क्रांति के सूत्रधार आचार्य श्री 108 विभव सागर जी महाराज युगांतरकारी साधू है। आप आध्यात्मिक, सामाजिक एवं बहु आयामी प्रतिभा के धनी है। आपके दुर्लभ चारित्रिक ऐश्वर्य, सर्वतोमुखी प्रतिभा एवं धर्ममय जीवन ने ही आपको आगम का प्रकांड पंडित एंव महान संत बनाया है।
विभव सागर जी महाराज एक ऐसे आचार्य है जिनका जीवन यात्रा ज्ञान, तपस्या साहित्य के क्षेत्र काव्यात्मकता से प्रारंभ हुई और सम्पूर्ण तपस्या का प्रतिरूप बन गयी। आपकी प्रवचन शैली प्रभावोत्पादक एवं ह्रदय ग्राही है आपने निरंतर स्वाध्याय करते हुए अपने ज्ञान को परिमार्जित व विकसित किया है।
आचार्यश्री, पठन पाठन, साहित्य सृजन में गहन रुचि रखते हैं और अभी तक आपकी अनेक कृतियां प्रकाशित हो चुकी है जो जैन दर्शन की अमूल्य धरोहर है।
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