वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पाटनी सनावद। निमाड़ का लोक पर्व कहलाने वाले गणगौर उत्सव की शुरुआत सोमवार चैत्र कृष्ण एकादशी से बाडिय़ों में मूठ रखने और ज्वारे बोने के साथ हो गई।
गणगौर स्थापना वाले श्रद्धालु ज्वारे लेकर बाडिय़ों में पहुंचें और यहां बाड़ी संचालक द्वारा ज्वारों की स्थापना की गई। श्रद्धालुओं द्वारा उन्हें अन्य एवं सामर्थ्य अनुसार दान दिया गया। चैत्र शुक्ल तीज पर बाडिय़ा खुलेंगी और श्रद्धालु ज्वारे अपने घर ले जाएंगे। यहां ईसर-पार्वती रूप में रथ भी बौढ़ाए जाएंगे।
करीब 400 स्थापित हुई मूठ
सनावद की पुरानी बाड़ियों में Azad Road पर मौजूद Sardar Singh Solanki की बाड़ी में, बावड़ी मंदिर में पंडित उमाशंकर जी कानूनगो, बाहेती कॉलोनी मे चंद्रमणि लक्ष्मी नारायण शर्मा, पंडित कॉलोनी में राधेश्याम चतुर्वेदी द्वारा तथा ध्यान सिंह सोलंकी की बाड़ी में गौरव शुभम जोशी, चेतन जोशी द्वारा तथा ओंकारेश्वर रोड पर गणगौर स्थापना की गई।
इस वर्ष ध्यान सिंह सोलंकी खरगोन रोड की बाड़ी परिवर्तित स्थान सोलंकी कॉलोनी स्थित गुरुकुल स्कूल के पास राजपूत छात्रावास पर स्थापित हुई है। जहां प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन भजन व अनुष्ठान किए जाएंगे।इन बाड़ियों में महिलाओं के द्वारा प्रतिदिन पूजा अर्चना के साथ सात दिन तक झालरियां गीतों की गूंज सुनाई देगी।
2 साल बाद धूमधाम से मनेगा पर्व
1 अप्रैल अमावस्या पर माता घुंघराई जाएगी 4 अप्रैल तीज पर बाड़ी खुलेगी।उल्लेखनीय है कि गणगौर उत्सव पूरे निमाड़ में उल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र कृष्ण की एकादशी पर गणगौर माता के रूप में रणुबाई अपने मायके आती है।
चैत्र शुक्ल की तीज को धनियार राजा उन्हें लेने ससुराल आते है। यहां गणगौर स्थापना वाले परिवार, समाज द्वारा रथ बौढ़ाए जाते है, यानि रणुबाई को मायके में रोका जाता है। कोरोना के चलते पिछले दो साल से ये आयोजन कोविड-19 गाइड लाइन के तहत सीमित संख्या में किए जा रहे है। इस साल कोरोना का साया नहीं होने से पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।