बड़वाह। गणगौर पर्व को निमाड़ के महापर्व के रूप में मनाया जाता है। यहां पूरे क्षेत्र में गणगौर को मनाने की परंपरा लगभग एक सी है, लेकिन बड़वाह से करीब 5 किलोमीटर दूर ग्राम नांदिया, नावघाट खेड़ी, बावड़ीखेड़ा, जेठवाय, बामनपुरी, पिढाय बुजुर्ग, जगतपुरा, रतनपुर, सेमरला में गणगौर के दौरान मनाई जाने वाली एक रस्म अपने आप में अनूठी है।
बुधवार को यह प्रथा देखने को मिली। शाम को पूरा गांव एक साथ गणगौर मनाने के लिए जुटा रनुबाई को विदाई देने के लिए सभी ग्रामीण एक साथ गांव के अंतिम छोर तक जा रहे थे, लेकिन इसके बीच रनुबाई को लेने आए धनियार राजा के साथ गांव के युवाओं ने थोड़ी मस्ती भी की।
इस दौरान पूरा गांव हंसी मजाक के रूप में होने वाली इस पिटाई का लुत्फ उठाता है। गांव के बुजुर्ग बाबूलाल परिहार,मनोहर परिहार ने बताया कि धनियार राजा गांव के जमाई होते हैं। जबकि गांव के बच्चे एवं युवा उनके साले होते हैं। जब धनियार राजा रनु बाई को लेने आते हैं,
तो उनके साले उनके साथ छेड़खानी के रूप में यह रस्म निभाते हैं। इसके पहले तो तीर-कामठी से गांव के बच्चे धनियार राजा का रथ उठाए व्यक्ति पर वार करते थे।लेकिन आंख में लगने के डर से इस पर प्रतिबंध लगा दिया अब केवल हाथों से ही प्रतीकात्मक रूप से मारते हैं,
यह प्रथा कई वर्षों से चली आ रही है। गांव में 53 रथ एक साथ बोड़ाए-पूर्व सरपंच शंकर सिंह परिहार ने बताया कि पहले दिन बाड़ी से अपने घर माता जी लेकर आते हैं, लेकिन दूसरे दिन सारे रथ एक साथ माता मंदिर पर आते है। यहां रथ उठाने वालों के पैर धुलाते हैं।
विदाई के रूप में सभी ग्रामीण रणुबाई को गांव के बाहर ले जाते हैं। ग्रामीण रणुबाई को मन्नत के अनुसार अपने घर लाते हैं। गांव में छितू मन्ना जी परिहार द्वारा सभी 53 रथ अपने घर लाए हैं। बुधवार को पूरे गांव को भोजन करवाएंगे।
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